केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में जानकारी दी कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल से अक्टूबर तक भारत का कुल वस्तु निर्यात 254.25 अरब डॉलर रहा। जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 252.66 अरब डॉलर था। इससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और अस्थिर परिस्थितियों के बावजूद भारत का निर्यात स्थिर बना हुआ है।
वैश्विक चुनौतियों के बीच निर्यात की मजबूती
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और अन्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक दबावों के बावजूद भारत का निर्यात स्थिर बना रहना महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सरकार ने निर्यातकों को राहत देने और उनके लिए आसान माहौल सुनिश्चित करने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनाई है।
इस रणनीति में प्रमुख कदमों में शामिल हैं:
-
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए संवाद: दोनों देशों के बीच निरंतर वार्ता के माध्यम से निर्यातकों के हित सुरक्षित किए जा रहे हैं।
-
रिजर्व बैंक द्वारा व्यापार राहत उपाय: विदेशी मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय सहायता के जरिए निर्यातकों को आसान वित्तीय साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
-
क्रेडिट गारंटी योजना: छोटे और मध्यम निर्यातकों को व्यापारिक जोखिम कम करने के लिए वित्तीय गारंटी प्रदान की जा रही है।
-
निर्यात संवर्धन मिशन: यह मिशन विशेष रूप से वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।
निर्यात संवर्धन मिशन: रोजगार और निर्यात को मजबूत करना
सरकार ने यह भी बताया कि 2025–26 से 2030–31 तक कुल 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय वाला ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ लागू किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात को बनाए रखना और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके तहत निर्यातकों को तकनीकी सहायता, विपणन सहयोग, वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
मुक्त व्यापार समझौतों और एफटीए का अधिकतम उपयोग
वाणिज्य मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements - FTA) के बेहतर उपयोग और नए देशों के साथ एफटीए के माध्यम से निर्यात को विविध बनाने पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य भारत के व्यापार संबंधों को मजबूती देना और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस रणनीति से न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी मजबूत होंगे। वस्त्र, चमड़ा, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्र विशेष रूप से श्रमिक प्रधान हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देना ग्रामीण और शहरी रोजगार दोनों को लाभ पहुंचाएगा।
भविष्य की रणनीति
सरकार ने स्पष्ट किया कि निर्यात क्षेत्र में आने वाले वर्षों में सतत विकास, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के दबावों का सामना करने के लिए व्यापक योजनाएं बनाई जा रही हैं। निर्यातकों को नई तकनीक, मार्केटिंग रणनीति और वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराने के जरिए भारत का वैश्विक व्यापार पर दबदबा बढ़ाने का लक्ष्य है।
निर्यात की यह स्थिरता और नीति-निर्माण की सक्रियता यह संकेत देती है कि भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने और विश्व स्तर पर व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
इस तरह, सरकार की बहु-आयामी रणनीति, निर्यात संवर्धन मिशन और मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाने की दिशा में उठाए गए कदम भारत के निर्यात को न केवल स्थिर बनाए रखने में मदद करेंगे, बल्कि देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका निभाएंगे।