अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शांति बातचीत से लगभग ऊब चुके हैं। कई दौर की मीटिंग, कई प्रस्ताव और कई कूटनीतिक दखल के बावजूद जमीन पर कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार साफ शब्दों में कहा है कि वह "अब समय बर्बाद नहीं करना चाहते"।
ट्रंप की नाराजगी सिर्फ रूस पर ही नहीं है। वह खुलकर यूरोपीय देशों और यूक्रेन से भी खफा दिखे हैं। NBC की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप लंबे समय से ट्रंप के प्रस्तावों से बचने की कोशिश कर रहा है, खासकर उस मांग से जिसमें यूक्रेन को रूस को कुछ भूभाग सौंपने की बात कही गई है।
ट्रंप की नाराज़गी और थर्ड वर्ल्ड वॉर की चेतावनी
यूरोप ने इस प्लान को अस्वीकार्य कहा है, जबकि ट्रंप इसे "तुरंत लागू होने वाला समाधान" बताते रहे हैं। वहीं, ट्रंप ने रूस-यूक्रेन की लड़ाई को तीसरे विश्व युद्ध तक पहुंचने की बात कही है। ट्रंप ने कहा, "मैंने उन्हें कुछ दिन पहले बताया था। मैंने कहा था कि अगर हर कोई इसी तरह के खेल खेलता रहा, तो अंततः तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा।" यह उन सभी देशों को संदेश है जो या तो रूस या यूक्रेन के पक्ष में खड़े हैं।
एक बिजनेस राउंडटेबल में ट्रंप ने अपनी हताशा व्यक्त करते हुए कहा, "वे लोग चाहते हैं कि हम वीकेंड में यूरोप मीटिंग के लिए आएं। हम तभी आएंगे जब कुछ ठोस लेकर वापस आएंगे। हम समय बर्बाद करने नहीं बैठे।" उन्होंने यहां तक कह दिया, "कई बार आपको लोगों को आपस में लड़ने देना पड़ता है, कई बार नहीं।" यह बयान बताता है कि ट्रंप अब खुद को इस असफल डिप्लोमेसी से दूर करने की तैयारी में हैं।
जेलेंस्की पर 'जमीन छोड़ने' का दबाव
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने भी पहली बार माना कि अमेरिका उन पर 'बड़े भूभाग छोड़ने' का दबाव बना रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुलासा किया कि विवाद की सबसे बड़ी वजह डोनेत्स्क क्षेत्र और जापोरिज्ज्या न्यूक्लियर प्लांट पर नियंत्रण है। ज़ेलेंस्की ने कहा, "वे चाहते हैं कि यूक्रेन डोनेत्स्क छोड़ दे और रूस वहां न घुसे। वे इसे फ्री इकोनॉमिक ज़ोन कह रहे हैं।"
कैस्पियन सागर में यूक्रेन का अभूतपूर्व हमला
इसी तनाव के बीच यूक्रेन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने रूस को पूरी तरह चौंका दिया है। यूक्रेन ने पहली बार कैस्पियन सागर में रूस के ऑफशोर तेल प्लेटफॉर्म पर लंबी दूरी के ड्रोन से वार किया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस के सूत्रों ने बताया, "यह पहली बार है जब यूक्रेन ने कैस्पियन सागर में रूस की तेल फैसिलिटी को निशाना बनाया है। जो भी यूनिट्स रूसी युद्ध मशीन को फंड करती हैं, वे सब वैध लक्ष्य हैं।"
यह हमला रूस की बड़ी ऊर्जा कंपनियों पर दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन ने रूस की रिफाइनरी, तेल पाइपलाइन, टर्मिनल और यहां तक कि टैंकरों पर भी हमले तेज कर दिए हैं। सिर्फ अगस्त से नवंबर के बीच यूक्रेन ने रूस की 77 एनर्जी फैसिलिटी हिट की हैं, जो साल के पहले सात महीनों की तुलना में लगभग दोगुना है। विशेषज्ञ इसे रूस के 'एनर्जी एटीएम' पर सीधा वार बता रहे हैं।