मुंबई में अवैध बस्तियों के विस्तार को लेकर विधानसभा में गंभीर और चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। शहर के कई संवेदनशील इलाकों—खासकर बड़े नालों, मैंग्रोव तथा सरकारी जमीनों—पर भारी पैमाने पर भराव कर झोपड़पट्टियां बसाने का मामला उजागर हुआ है। ये जानकारी बीजेपी विधायक मिहीर कोटेचा ने ‘लक्षवेधी सूचना’ के तहत विधानसभा में प्रस्तुत की। उनके अनुसार इन बस्तियों में न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और अन्य विदेशी नागरिकों को भी संगठित रूप से बसाया जा रहा है।
राजनीतिक संरक्षण और दलाली का गंभीर आरोप
विधायक मिहीर कोटेचा ने आरोप लगाया कि अवैध झोपड़पट्टियों का यह फैलाव किसी आकस्मिक प्रक्रिया का नतीजा नहीं, बल्कि इसके पीछे संगठित दलाली और राजनीतिक संरक्षण की मजबूत भूमिका है। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्रों में अतिक्रमण की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और यह न सिर्फ मुंबई की पर्यावरणीय सुरक्षा को खतरे में डालता है बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकता है।
कोटेचा ने बताया कि म्हाडा द्वारा विकसित ‘नेत्रम ऐप’ पर इन अतिक्रमणों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। ऐप के डेटा में कई ऐसे स्थान दर्ज हैं जहाँ सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण लगातार बढ़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गूगल इमेजेज पर भी मैंग्रोव क्षेत्रों में अवैध झोपड़ियों का तेजी से बढ़ता दायरा साफ दिखाई दे रहा है, जो प्रशासन की निगरानी पर सवाल खड़े करता है।
सरकार का आश्वासन: “अवैध बस्तियाँ मिलीं तो तुरंत कार्रवाई”
मामले की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा की विशेष बैठक में प्रभारी मंत्री उदय सावंत ने जवाब देते हुए आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी तरह की अवैध बस्ती को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अगर नालों, मैंग्रोव या सरकारी जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध अतिक्रमण पाया गया तो उसे तुरंत हटाया जाएगा।
सावंत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे निर्माण पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर बेहद गंभीर है और लगातार निगरानी की जा रही है ताकि ऐसे अतिक्रमणों को समय रहते रोका जा सके।
अतिक्रमण रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक कदम तेज
उदय सावंत ने जानकारी दी कि सरकार ने अवैध बस्तियों पर रोक लगाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत नियमित सर्वे, ड्रोन मैपिंग और डिजिटल मॉनिटरिंग को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन को ऐसे स्थानों की पहचान करने और तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं जहाँ अवैध बस्तियों के उभरने की संभावना सबसे अधिक है।
“सिर्फ घोषणा नहीं, जिम्मेदारों पर भी हो कार्रवाई” – मिहीर कोटेचा
भाजपा विधायक मिहीर कोटेचा ने सरकार के आश्वासन का स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सिर्फ झोपड़पट्टियाँ हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक इन अवैध बस्तियों को राजनीतिक संरक्षण देने वालों और दलाली में शामिल लोगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ये अभियान अधूरा ही रहेगा।
कोटेचा ने कहा कि विदेशी नागरिकों को ऐसी बस्तियों में बसाना न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है बल्कि यह राज्य की जनसंख्या संरचना और संसाधनों पर भी प्रतिकूल असर डालता है। इसलिए सरकार को व्यापक स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए।
राज्यसभा में बड़ा मुद्दा बनता मामला
मुंबई में नालों, मैंग्रोव और सरकारी भूमि पर अवैध बस्तियों के निर्माण का यह मुद्दा अब विधानसभा में बड़े राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। जहां एक ओर सरकार कार्रवाई का आश्वासन दे रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है। अब नजर इस बात पर रहेगी कि मंत्री उदय सावंत द्वारा दिए गए आश्वासनों के बाद अवैध बस्तियों पर कब तक प्रभावी कार्रवाई शुरू होती है, और क्या जिम्मेदार अधिकारियों तथा राजनीतिक संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी जांच आगे बढ़ती है।