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जॉर्डेनियन दिनार: दुनिया की चौथी सबसे महंगी मुद्रा क्यों? भारत से तुलना में बड़ा अंतर

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Posted On:Wednesday, December 10, 2025

दुनिया में कई देश ऐसे हैं जिनकी मुद्रा भारतीय रुपये से कई गुना अधिक मूल्यवान है। आमतौर पर हम कुवैती दिनार, बहरीनी दिनार, यूरो और पाउंड को इस सूची में शामिल करते हैं, लेकिन जॉर्डन की मुद्रा जॉर्डेनियन दिनार (JOD) भी दुनिया की सबसे महंगी मुद्राओं में से एक है। Vice.com की रिपोर्ट के अनुसार 1 जॉर्डेनियन दिनार लगभग 126.8 भारतीय रुपये के बराबर है। इसके मुकाबले 1 भारतीय रुपया सिर्फ 0.00788 JOD के बराबर रहता है।

इस तुलना से यह समझना आसान है कि अगर कोई भारतीय नागरिक जॉर्डन में सिर्फ 800 जॉर्डेनियन दिनार कमाता है, तो भारत में उसकी आय लगभग 1.14 लाख रुपये हो जाती है। यही मूल्य अंतर JOD को दुनिया की मजबूत और स्थिर मुद्राओं में शुमार करता है।

जॉर्डेनियन दिनार की वैश्विक रैंकिंग

मुद्रा मूल्यांकन के अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर जॉर्डेनियन दिनार दुनिया की चौथी सबसे महंगी करेंसी है। इसके आगे केवल—

  1. कुवैती दिनार (KWD)

  2. बहरीनी दिनार (BHD)

  3. ओमानी रियाल (OMR)

यानी जॉर्डन की मुद्रा तेल संपन्न खाड़ी देशों के ठीक बाद आती है। इसीलिए JOD को टॉप-टियर, हाई-वैल्यू और स्टेबल करेंसी के रूप में जाना जाता है।

जॉर्डेनियन दिनार इतना महंगा क्यों?

आम धारणा है कि मजबूत मुद्रा केवल उसी देश की होती है जिसके पास तेल के भंडार हों, लेकिन जॉर्डन इसका अपवाद है। यहां तेल के बड़े स्रोत नहीं हैं, फिर भी करेंसी मजबूत है, जिसके मुख्य कारण हैं—

1. अमेरिकी डॉलर से स्थिर विनिमय दर

जॉर्डन अपनी मुद्रा को US डॉलर से फिक्स्ड रेट पर जोड़कर रखता है।

  • इससे अंतरराष्ट्रीय उतार–चढ़ाव का असर जॉर्डेनियन दिनार पर बहुत कम पड़ता है।

  • निवेशकों को यह स्थिरता आकर्षित करती है और मुद्रा पर भरोसा कायम रहता है।

2. नियंत्रित मौद्रिक नीति

जॉर्डन का केंद्रीय बैंक मुद्रा की सप्लाई को सख्ती से नियंत्रित करता है।

  • बाजार में जितनी आवश्यकता हो, उतनी ही नोट सप्लाई की जाती है।

  • इस सख्ती के कारण दिनार की वैल्यू समय के साथ गिरती नहीं, बल्कि स्थिर रहती है।

3. छोटा लेकिन अनुशासित अर्थतंत्र

जॉर्डन का GDP आकार कुछ देशों के मुकाबले छोटा जरूर है, लेकिन—

  • सरकारी ऋण प्रबंधन मजबूत

  • वित्तीय शुचिता

  • भ्रष्टाचार नियंत्रण

  • स्थायी सरकारी नीति
    ने मिलकर दिनार को मजबूत बनाए रखा है।

भारतीय रुपया कमजोर क्यों पड़ता है?

जहां JOD स्थिर विनिमय से जुड़ा है, वहीं भारतीय रुपया फ्री-फ्लोटिंग करेंसी है। इसका मतलब है कि INR की वैल्यू को प्रभावित करने वाले बाहरी कारक बहुत ज्यादा हैं—

  • कच्चे तेल की वैश्विक कीमत

  • आयात–निर्यात का अंतर

  • डॉलर की मजबूती

  • महंगाई दर

  • भू-राजनीतिक हालात

  • विदेशी निवेश का आना-जाना

यही वजह है कि भारतीय रुपये में बार-बार उतार–चढ़ाव देखने को मिलता है और वह दिनार जैसे स्थिर स्तर तक नहीं पहुंच पाता।

जॉर्डेनियन करेंसी सिस्टम किसके नियंत्रण में?

जॉर्डन की पूरी मुद्रा व्यवस्था का संचालन सेंट्रल बैंक ऑफ जॉर्डन (CBJ) करता है।

  • नोट छापना

  • सिक्कों की सप्लाई

  • मुद्रा नीतियां

  • विदेशी रिजर्व प्रबंधन

इन सभी पर बैंक का पूर्ण नियंत्रण है। 1964 में स्थापना के बाद से केंद्रीय बैंक ने इस नीति को बेहद संतुलित तरीके से लागू किया है, जिसके कारण JOD की अंतरराष्ट्रीय साख लगातार बनी हुई है।

जॉर्डन के नोट और सिक्के

जॉर्डन में जारी सभी बैंक नोट और सिक्के CBJ द्वारा नियंत्रित होते हैं।

  • नकद सप्लाई सीमित

  • बाजार में घुमाव सरकार की देखरेख में

  • ब्लैक इकोनॉमी और अवैध ट्रेड पर सख्ती

यही वे कारण हैं जो इस मुद्रा को दुनिया के सबसे स्थिर और हाई-वैल्यू करेंसी सिस्टम में कायम रखते हैं।


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