बांग्लादेश में आगामी 13वें संसदीय चुनाव की तारीखों का ऐलान आज, 11 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। देश का चुनाव आयोग (Election Commission) शाम 6 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर, बहुप्रतीक्षित चुनाव का विस्तृत शेड्यूल जारी करेगा। ये चुनाव देश की राजनीतिक व्यवस्था में हुए बड़े बदलाव के बाद हो रहे हैं, जब 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया था।
साल 2024 के बड़े राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, मोहम्मद युनूस को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री (Interim Prime Minister) बनाया गया था। 6 अगस्त 2024 को संसद भंग कर दी गई थी, और उसके दो दिन बाद, 8 अगस्त से मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सत्ता में है। इस दौरान, लंबे समय तक देश की राजनीति पर हावी रही शेख हसीना की अवामी लीग (Awami League) को भी निलंबित कर दिया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, शेख हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली थी।
नए राजनीतिक परिदृश्य में चुनाव
यह चुनाव बांग्लादेश के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण है। यह पहला चुनाव होगा जो मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार की देखरेख में हो रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में एक निष्पक्ष और विश्वसनीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना है। पूर्व में हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या चुनाव शांतिपूर्ण और समावेशी माहौल में संपन्न होंगे।
बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक दल
बांग्लादेश की राजनीतिक व्यवस्था में इस समय कई बड़े दल शामिल हैं, जिनकी स्थिति 2024 की घटनाओं के बाद काफी बदल गई है:
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बांग्लादेश अवामी लीग (AL): यह दल बांग्लादेश की स्थापना से ही देश की सियासत का केंद्र रहा है। लेकिन 2024 में सरकार के पतन के बाद इसे निलंबित (Suspended) कर दिया गया, जिससे इसकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो गई है।
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बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP): लंबे समय से देश का मुख्य विपक्षी दल रहा है। BNP ने पिछले कई चुनावों का बहिष्कार किया था, लेकिन इस चुनाव में उसकी भागीदारी महत्वपूर्ण हो सकती है।
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जातीय पार्टी (Jatiya Party): यह देश के पूर्व राष्ट्रपति एरशाद द्वारा स्थापित पार्टी है और इसे बांग्लादेश का तीसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल माना जाता है।
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जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश (Jamaat-e-Islami Bangladesh): यह कभी BNP का सहयोगी दल था, लेकिन अब यह एक इंडिपेंडेंट पार्टी के रूप में कार्य कर रहा है।
चुनाव आयोग द्वारा शेड्यूल जारी किए जाने के बाद, सभी राजनीतिक दलों को प्रचार और संगठनात्मक गतिविधियों के लिए एक निश्चित समय सीमा मिलेगी। अंतरिम सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना होगी कि ये चुनाव पूरी तरह से स्वतंत्र, निष्पक्ष हों और सभी प्रमुख राजनीतिक स्टेकहोल्डर्स को मान्य हों, जिससे देश में स्थायी लोकतंत्र की बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सके।