हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार (8 दिसंबर) को भारतीय शेयर बाजारों में निवेशकों के लिए निराशाजनक माहौल रहा. कारोबार के शुरुआती घंटों में ही सेंसेक्स में 800 अंकों तक की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी भी फिसलकर 25,900 के मनोवैज्ञानिक स्तर के करीब पहुंच गया.
बाजार में इस तेज बिकवाली और गिरावट के पीछे कई बड़े वैश्विक और घरेलू कारक रहे. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की महत्वपूर्ण बैठक से पहले निवेशकों का सतर्क रुख, लगातार विदेशी बिकवाली, रुपये की कमजोरी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें प्रमुख कारणों में शामिल हैं.
आइए जानते हैं शेयर बाजार में आई इस गिरावट की 5 बड़ी वजहें:
1. US फेड मीटिंग से पहले सतर्क रुख
बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी दो-दिवसीय बैठक (9 दिसंबर से शुरू) को लेकर निवेशकों की सावधानी है.
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निवेशक फेड के संभावित निर्णयों को लेकर सतर्क हैं, भले ही इस बार किसी बड़े नीतिगत बदलाव की उम्मीद कम हो.
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इसके अलावा, महंगाई के नए डेटा और साल के अंत में पोर्टफोलियो को एडजस्ट करने का दबाव भी बाजार पर दिख रहा है.
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च हेड, देवर्ष वकिल के अनुसार, "निवेशक फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक, महंगाई के नए डेटा और साल के अंत में होने वाले पोर्टफोलियो बदलावों से पहले सावधानी से अपनी पोजिशन ले रहे हैं."
2. एफआईआई (FII) की लगातार बिकवाली
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) लगातार भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं.
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शुक्रवार को एफआईआई ने लगातार सातवें कारोबारी दिन बिकवाली की और लगभग 439 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए.
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बाजार में मजबूत रैली के बाद वैल्यूएशन (मूल्यांकन) महंगे हो गए थे, जिससे विदेशी निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं, जिसने बाजार को गिरावट के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया.
3. भारतीय रुपये में कमजोरी
बाजार में गिरावट के साथ-साथ भारतीय रुपये में भी कमजोरी देखने को मिली.
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रुपया 16 पैसे टूटकर 90.11 के स्तर पर पहुंच गया.
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कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से रुपये पर दबाव बढ़ा है. इसके अलावा, आयातकों और कॉर्पोरेट्स की तरफ से डॉलर की बढ़ती मांग ने भी रुपये को कमजोर किया.
4. क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) में उछाल
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है.
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ब्रेंट क्रूड का भाव बढ़कर 63.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.
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कच्चा तेल महंगा होने से भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ने की आशंका रहती है, जिससे देश के चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) पर असर पड़ सकता है और महंगाई बढ़ने का डर भी बढ़ता है, जो बाजार सेंटिमेंट के लिए नकारात्मक है.
5. इंडिया VIX में उछाल
बाजार की अनिश्चितता और अस्थिरता को दर्शाने वाले इंडेक्स इंडिया VIX में भी तेज उछाल आया है.
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इंडिया VIX में 2 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया और यह 10.53 के स्तर पर पहुंच गया.
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VIX में बढ़ोतरी का मतलब है कि बाजार में अनिश्चितता बढ़ रही है और ट्रेडर जोखिम लेने से बच रहे हैं, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है.
यह गिरावट वैश्विक संकेतों और घरेलू आर्थिक कारकों के संयोजन का परिणाम है, जिसने निवेशकों को सावधानी बरतने पर मजबूर किया है.